तुमसे मिलने हम भूतकाल में ही जाएंगे, वहीं खोजेंगे और स्नेह करने, तेरी प्रतीक्षा और नवीन प्रेयसी जो सांभाव्य भार्या होगी उससे स्नेह, समानांतर करेंगे।जीवन का नया सिद्धांत बनाएंगे।फिर जिएंगे, एक ऐसा जीवन जिसमें स्नेह परस्पर हो।

तुम्हारी वापसी की प्रतिभूत तेरी कौमार्य मात्र होगी।क्योंकि ईश्वर ने मुझे पूर्ण ईमानदार वफादार और पवित्रतम् बनाया है।
बिना परिश्रम के प्राप्त फल को उपेक्षा की दृष्टि से देखते हैं, तुमने भी ऐसा ही किया।

टिप्पणियाँ