बिना श्रम के सुख नीरस हो जाता है। सुमन शूल बन जाते हैं।फूलों की सेज काँटों की तरह चूभने लगती है।जीवन निरर्थक लगने लगती है।मनोरंजन क्रोध पैदा करने लगता है।शांति भंग हो जाती है।।।।7007860070. 8881891811 लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप अगस्त 19, 2018 श्रमेव जयते । श्रम ही सुख का पिता है। लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप टिप्पणियाँ
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